गेहूं की खेती 2025: पूरी जानकारी बीज, मिट्टी, खाद, सिंचाई और अधिक उत्पादन के उपाय
भारत में गेहूं की खेती सबसे प्रमुख रबी फसल मानी जाती है। देश के लगभग हर राज्य में किसान गेहूं उगाते हैं क्योंकि इसका बाजार भाव स्थिर रहता है और खाद्य सुरक्षा के लिए यह जरूरी अनाज है। अगर आप 2025 में गेहूं की खेती शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए पूरी गाइड साबित होगा। गेहूं की खेती कब होती है?
गेहूं रबी मौसम की फसल है जिसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच की जाती है।
कटाई का समय मार्च से अप्रैल तक रहता है।
| चरण | समय |
|---|---|
| बुवाई का समय | अक्टूबर से दिसंबर |
| कटाई का समय | मार्च से अप्रैल |
| मौसम | ठंडा और शुष्क मौसम सबसे उपयुक्त |
सुझाव: समय पर बुवाई करने से उपज 10–15% तक बढ़ जाती है।
गेहूं के लिए उपयुक्त मिट्टी
गेहूं के लिए दोमट या मध्यम चिकनी मिट्टी (Loamy Soil) सबसे बेहतर होती है।
मिट्टी में पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए ताकि जलभराव न हो।
मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच सबसे उपयुक्त रहता है।
टिप: मिट्टी की जांच करवा लें ताकि सही मात्रा में खाद और उर्वरक डाले जा सकें।
गेहूं की प्रमुख किस्में
भारत के अलग-अलग राज्यों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने कई उच्च उत्पादक किस्में विकसित की हैं।
| क्षेत्र | प्रमुख किस्में |
|---|---|
| उत्तर भारत | HD-2967, HD-3086, PBW-343 |
| मध्य भारत | HI-1544, HI-1531 |
| दक्षिण भारत | MACS-6222, NIAW-1415 |
| देर से बुवाई के लिए | HD-3059, WR-544 |
इन किस्मों से औसतन 45–60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त की जा सकती है।
गेहूं की सिंचाई व्यवस्था
गेहूं की फसल को लगभग 4–5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
| सिंचाई का चरण | समय |
|---|---|
| पहली सिंचाई | अंकुरण के 20–25 दिन बाद |
| दूसरी सिंचाई | गीली अवस्था (Tillering Stage) |
| तीसरी सिंचाई | बाल निकलने के समय |
| चौथी सिंचाई | दाना भरने के समय |
पहली और तीसरी सिंचाई का सही समय उत्पादन बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण होता है।
बीज की मात्रा और बुवाई की विधि
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बीज की मात्रा: 100–125 किलो प्रति हेक्टेयर
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गहराई: 4–5 सेंटीमीटर
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पंक्ति की दूरी: 20–22 सेंटीमीटर
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बुवाई विधि: सीड ड्रिल या ट्रैक्टर संचालित मशीन से समान गहराई पर करें।
संतुलित खाद देने से गेहूं की उपज में 25–30% तक वृद्धि होती है।
| तत्व | मात्रा (प्रति हेक्टेयर) | समय |
|---|---|---|
| नत्रजन (N) | 120 किलो | आधा बुवाई के समय, आधा पहली सिंचाई में |
| फास्फोरस (P) | 60 किलो | बुवाई के समय |
| पोटाश (K) | 40 किलो | बुवाई के समय |
गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालने से मिट्टी की गुणवत्ता और जलधारण क्षमता दोनों बढ़ती हैं।
रोग और कीट नियंत्रण
गेहूं में कंडुआ रोग, पत्ती झुलसा, और गेरुई रोग आम हैं।
इनसे बचाव के लिए:
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बीजोपचार करें — कार्बेन्डाजिम या थिरम (2.5 ग्राम/किलो बीज) से।
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रोग आने पर मैनकोजेब 2 ग्राम/लीटर पानी से छिड़काव करें।
उत्पादन और लाभ
यदि किसान आधुनिक तकनीक और समय पर सिंचाई करें तो औसतन 50–65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन संभव है।
इसके अलावा गेहूं की भूसी (भूसा) पशु चारे के रूप में भी काम आती है, जिससे अतिरिक्त लाभ होता है।
गेहूं की खेती से लाभ के प्रमुख कारण
लागत कम और मुनाफा स्थिर
हर मौसम में आसान प्रबंधन
अनाज की निरंतर मांग
खाद्य सुरक्षा में योगदान
गेहूं की खेती भारतीय किसानों के लिए एक भरोसेमंद और लाभदायक व्यवसाय है।
यदि किसान सही समय पर बुवाई, उचित किस्म, संतुलित खाद और सिंचाई का प्रबंधन करें, तो वे अधिक उपज और बेहतर आमदनी प्राप्त कर सकते हैं

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