Berojgari Bdati Hui Degree: डिग्रियों के भवर में डूबता बेरोजगार, विद्यालयों का मर्ज व्यवस्था
कॉलेज के दिनों मे B.Ed करने वालों का एक अलग ही सम्मान हुआ करता था लोग अध्यापक बनने के लिए सपना देखा करते थे और B.ed का एंट्रेंस फॉर्म आते ही फॉर्म भरने का होड़ लग जाता है।
यही हाल UPTET और सीटेट करने वालों का हो रहा है विद्यार्थियों ने अथक परिश्रम करके उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किया था और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किया था अपने सपनों को रंग भरने के लिए सोचते थे शिक्षक बनकर विद्यार्थियों के बीच जाएंगे और उनके सपनों को साकार करेंगे लेकिन अब क्या करें उत्तर प्रदेश B.ed को प्राथमिक शिक्षक से वंचित कर दिया गया।
एक झुनझुना निकला है एजुकेटर भर्ती जिसमें आप D.el.ed वाले फॉर्मेट नहीं भर सकते हैं,और ना B.ed वाले , 100000 से अधिक खर्च करके प्राइवेट में बीएड करने वाले विद्यार्थियों की हाल पूछो तो सही क्या उन पर गुजर रही है उनकी आत्मा उनको धिक्कार रही है कि वह ₹100 का नौकरी भी नहीं पा रहे हैं प्राइवेट विद्यालयों का हाल ऐसा है कि आप एमए बीएड सीटेट और अपडेट पास करके भी उनके पास जाएंगे तो आपको पढ़ाई हजार से ₹3000 प्रति माह देखकर आपको पढ़ने के लिए कहेंगे क्योंकि पढ़े लिखो कि आज कितना ही कद्र रहा है आप जानते ही हैं।
प्राइवेट विद्यालयों के बिल्डिंगों को देखकर लगेगा कि संसद भवन भी फेल है इसके आगे पैसे नहीं पैसों की अंबर को झोक दिया जा रहा है इनको बनाने में बदले में अध्यापक को कितना वेतन दिया जा रहा है कोई नहीं पूछता प्राइवेट विद्यालय विद्यालय न होकर आपको नहीं लगता कि एक परचून की दुकान बन गए हैं जिसमें होला से लेकर ताई तक बेल्ट से लेकर पुस्तक तक एक बड़ी कमीशन पर बेचा जा रहा है।
हम अपने अपनी नौनिहाल बच्चों का किस्मत संवारने के लिए भट्टे पर काम करके प्राइवेट फैक्ट्री में काम करके अपने हड्डियों को गला कर जो पैसा हमारे गरीब मजदूर भाई काम कर लाते हैं वह प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों का एडमिशन तो कर लेते हैं लेकिन साल भर फीस देती थी उनकी कमर टूट जाती है।
प्राइवेट विद्यालय अलग-अलग प्रशासन की किताबें हर साल चलते हैं और यह प्राइवेट प्रशासन की किताबें विद्यालय वालों को मोती कमीशन पर दिया जाता है।
जैसे मान लीजिए कोई किताब 150 रुपए का अगर बच्चों को बेचा जा रहा है तो विद्यालय में पूरी संभावना है कि वह किताब 60 से ₹70 का ही दिया जा रहा है विद्यालय उसे पर अपना 70 से 80 रुपए लेकर बेचते हैं इसी प्रकार से अलग-अलग विद्यालयों में अलग-अलग रेट से भारी कमीशन पर किताबों को विद्यार्थियों को बेचा जात प्राइवेट विद्यालय एक आलीशान भवन में खुला हुआ एक प्रचुर के दुकान के समान है जो अलग-अलग रेट पर सामान को बेच रहे हैं और शिक्षा के नाम पर बड़ा व्यापक कारोबार फैला रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्यालयों की मर्ज व्यवस्था जब चालू की प्राथमिक विद्यालयों में तो आपको नहीं लगता कि 24 किलोमीटर के विद्यालय जब एक जगह जोड़ दिए जाएंगे तो बीच में आने वाले प्राइवेट विद्यालयों की चांदी निकल जाएगी क्योंकि छोटे बच्चे एक से डेढ़ किलोमीटर से दूर अगर जाना पड़ जाए उनको विद्यालय में पढ़ते तो अभिभावक अपने बच्चों को इतना दूर क्यों भेजेगा परिणाम स्वरुप यह होगा कि एक डेढ़ किलोमीटर के अंदर जो ग्राम सभा के नजदीक प्राइवेट विद्यालय होंगे वह बंपर कमाई करेंगे क्यों आपको लगता है कि नहीं क्यों दूर भेजेंगे अपने बच्चों को पढ़ने के लिए,
आने वाली उत्तर प्रदेश प्राथमिक विद्यालयों में मर्ज करने की प्रथा से लेकिन प्राइवेट विद्यालयों की दशा जरूर सुधर सकती है क्योंकि मजबूरी तो है ही दोस्तों अपने बच्चों को पढ़ने के लिए लेकिन लेकिन उनकी उम्र के अनुसार हम उनको बहुत दूर भेज नहीं सकते और बहुत मोटी कमाई वाले गर्जनों को छोड़ दिया जाए तो हर व्यक्ति अपने बच्चों के लिए वहां नहीं कर सकता वहां जानते हैं ना जो विद्यालयों द्वारा चलाई जाने वाली गाड़ियां होती हैं।
आई दोस्तों आपको समझते हैं एक उदाहरण से,
जैसी मान लीजिए मंगरु का एक लड़का था रोहन वह अपने ग्राम सभा में पढ़ता था लेकिन रोहन का जो प्राथमिक विद्यालय था वह यहां से 8 किलोमीटर दूर दूसरे प्राथमिक विद्यालय में जोड़ दिया गया अब बेचारा मंगरु बगल में ही भट्ठा पर मजदूरी करता था ₹10000 कमाता मंगरु सोचता था कि हम अपने बच्चों को अब 8 किलोमीटर दूर विद्यालय में नहीं भेजेंगे प्राइवेट विद्यालय हमारे ग्राम सभा के पास है एक किलोमीटर उसी में भेजते हैं मंगरु को अब फ्री में जो अपने बच्चों को शिक्षा देने की सहूलियत थी अब खत्म हो गई क्योंकि मंगरु अब अपने बच्चों को पास वाले ही प्राइवेट विद्यालय में भेजना चालू कर देगा क्योंकि उसे अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता बहुत सताती है क्यों क्योंकि वह 8 किलोमीटर भेजेगा तो पता नहीं उसका बच्चा 8 किलोमीटर पैदल जा पाएगा कि नहीं क्योंकि मंगरु वाहन सुविधा तो कर नहीं सकता परिणाम स्वरुप बगल वाले प्राइवेट विद्यालयों में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ती जाएगी बढ़ती जाएगी।
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