जीवित्पुत्रिका व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इतिहास और मान्यताएं
जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखा जाने वाला एक पवित्र व्रत है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस व्रत को जितिया व्रत (Jitiya Vrat) भी कहा जाता है। माताएं संपूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ यह उपवास करती हैं और अपने बच्चों के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 कब है? (Jivitputrika Vrat 2025 Date)
Jivitputrika Vrat 2025 की तिथि इस प्रकार है:
जीवित्पुत्रिका व्रत 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, इतिहास और मान्यताए के आधार पर व्रत 14 सितंबर 2025 को रखा जाएगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 का शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat 2025 Shubh Muhurat)
व्रत की पूजा और कथा सुनने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन विशेष फलदायी माना जाता है।
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ब्रह्म मुहूर्त: 4:33 AM से 5:19 AM
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अभिजीत मुहूर्त: 11:52 AM से 12:40 PM
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विजय मुहूर्त: 2:20 PM से 3:09 PM
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गोधूलि मुहूर्त: 6:27 PM से 6:51 PM
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व्रत पारण मुहूर्त: 15 सितंबर 2025, सुबह 6:10 से 8:32 बजे तक
जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi)
यह व्रत तीन दिनों तक चलता है – नहाय-खाय, निर्जला उपवास और पारण।
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नहाय-खाय (13 सितंबर 2025)
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सूर्योदय से पहले स्नान करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
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सात्विक भोजन करें (लहसुन-प्याज वर्जित)।
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व्रत का दिन (14 सितंबर 2025)
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पूरे दिन और रात निर्जला उपवास करें।
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पूजा स्थल को गोबर और मिट्टी से पवित्र करें।
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मिट्टी और कुश से भगवान जीमूतवाहन, चील और सियार की मूर्तियाँ बनाएं।
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धूप, दीप, चावल और फूलों से पूजा करें।
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Jivitputrika Vrat Katha का श्रवण करें।
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पारण (15 सितंबर 2025)
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ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पूजा करें और व्रत खोलें।
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दान करें और बच्चों को आशीर्वाद दें।
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पारंपरिक रूप से सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है, जिसे बाद में बच्चों के सिर पर लगाया जाता है।
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- जीवित्पुत्रिका व्रत का इतिहास (History of Jivitputrika Vrat)
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राजा जीमूतवाहन की कथा:
मान्यता है कि राजा जीमूतवाहन ने नागवंश के एक पुत्र की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। उनकी निःस्वार्थ भक्ति और त्याग से प्रसन्न होकर गरुड़ ने नाग को छोड़ दिया। तभी से उनकी पूजा इस व्रत में की जाती है। -
महाभारत की कथा:
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के मृत गर्भस्थ शिशु को जीवित किया था। उसी घटना से इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा।
जीवित्पुत्रिका व्रत की मान्यताएं (Beliefs of Jivitputrika Vrat)
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यह व्रत संतान की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।
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संतानहीन महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना से भी यह व्रत रखती हैं।
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इस व्रत को बीच में छोड़ना अशुभ माना जाता है।
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बिहार, झारखंड और यूपी में नोनी का साग खाने और लाल धागा बांधने की परंपरा है।
निष्कर्ष
जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 रविवार, 14 सितंबर को मनाया जाएगा। यह व्रत माताओं के लिए अपनी संतान की लंबी आयु और समृद्धि का प्रतीक है। सही मुहूर्त में पूजा और कथा श्रवण करने से व्रत का फल और भी बढ़ जाता है।
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